Monday 11 January 2010

दिल चाहता है....


आज कुछ करने को दिल चाहता है ....
चाहता है, इन दरो-दीवारों को तोड़ कर...
मै उड़ चलु, दूर बहुत दूर आसमा की और...
हां वो आसमा जो हमे ऊपर उठना सिखाता है....

वो आसमा जो निर्मल, निश्छल और पावन है...
जहा न जातिवाद, नक्सलवाद, ना ही भाषावाद है...
हां वो आसमा जो हर प्राणी के लिए एक सा है....
जहा न कोई रिश्वतखोरी, न ही कोई हेराफेरी है....

इस कल्पना मात्र से ही मन मयूर नाच उठा....
कह रहा है, क्या कोई ऐसी जगह भी है जहा....
न आतंक है, न लूटपाट, न किसी चोरी का डर...
फिर कहो क्यों न दिल चाहेगा आसमा की और जाना....

पर अगले ही पल मन में विचार कोंदा...क्यों आखिर क्यों...
जाना हे मुझको आसमा की और....क्या मेरी धरा में कोई कमी है....
नहीं, कोई कमी नहीं....कमी तो हम लोगो में है, जो इस स्वर्ग को नरक बना रहे है...
नहीं मुझको कही नहीं जाना, यही रहना है और इस धरा को पुनः स्वर्ग बनाना है....

आपसे एक ही है सवाल, क्या आप देंगे मेरा साथ
इस धरा को आसमा सा उम्दा बनाने में....

2 comments:

  1. BILKUL. HAM SATH-SATH HI TO HAIn.

    http://www.samwaadghar.blogspot.com

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  2. सुंदर जज्बातों की शानदार प्रस्तुति

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