Sunday 10 January 2010

रास्ता और मंजिल...

जब कोई निकलता है, किसी नये सफ़र पर....
आखों में हजारो सपने लिए, होता है चलने को तैयार।
तब यही सोचता है, कब होगा ये रास्ता पार....
कब मिलेगी मंजिल, कब खत्म होगा इन्तजार।

रास्ता जो अन्जाना, अनदेखा और अनंत तक जा रहा है...
जो हमको कभी डरता, घबराता तो कभी ख़ुशी देता है।
यही सिखाता है की, मन को विचलित मत करो चलते रहो ...
क्योकि चलना ही जिन्दगी है, यही अंतरिम सत्य है।

रास्ते जो कभी हमको निराश और हताश करेगा...
पर रास्ता होगा तो ही तो मंजिल मिलेगी।
फिर भी अन्जाना भय सताता हो तो अपने मन को कह
"All is well"

तो भुल जा रास्ते की परेशानी और बढ़ चल, बढ़ चल...
मंजिल पाने की ख़ुशी की अनुभूति ही रास्ते का सारा दर्द मिटा देगी।
अब देर न कर, चल उठ और चलता चल मंजिल की तरफ
चलता चल क्योकि चलना ही जिन्दगी है.............

8 comments:

  1. फिर भी अन्जाना भय सताता हो तो अपने मन को कह
    "All is well"
    Great

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  2. बिल्‍कुल ! चलना ही है रास्‍ता और मंजिल दोनों ।
    हर मंजिल एक आगे एक और मंजिल है ।
    बल्कि यह कहना ठीक होगा कि
    रास्‍ता भी बना है छोटी छोटी मंजिलों से मिलकर
    क्‍योंकि जीवन "होना" है । बिकमिंग ।

    सुंदर अभिव्‍यक्ति । हिंदी ब्‍लॉगिंग में आपका स्‍वागत है ।

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  4. achi seekh deti rachana

    acha laga padna

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  5. aal is well......gerat job dost keep going...!!


    Jai Ho Mangalmay HO

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  6. nice likhte ho ..
    ese hi likhte raho ....
    swagt hai lekhan ki duniya me

    hume bhi pade or utsahan badaye

    http://mastano-ka-mehkma.blogspot.com

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  7. बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति.

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  8. apki rachana achi hai.apne salumber ka nam
    uncha kiya iske liye thanks,
    ramesh kachoria
    salumber

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