Wednesday 13 January 2010

छोटी सी ख़ुशी...


हर किसी को होती है, बड़ी खुशियों की चाहत...
जिसकी लिए करते है हम, जाने कितना इन्तजार।
एक बड़ा बंगला, गाड़ी, बैंक बेलेंस...सब कुछ हो बड़ा...
और अगर एक है तो एक से ज्यादा की तमन्ना करते है।

हम हर बड़ी ख़ुशी का इन्तजार करते करते...
नजरअंदाज करते है, राह में मिलने वाली छोटी खुशिया।
वो छोटी-छोटी खुशिया जो हर जगह बिखरी पड़ी है...
जिनको इन्तजार है की कोई उनको भी आकर बटोरे।

क्यों हम हमेशा बड़ा है तो बेहतर है का राग आलापते है....
क्यों नहीं ये जान पाते है की कई छोटा से ही तो बड़ा बनता है।
तो आज इन्तजार न करके, बाहे फेलाये उन के लिए जिनको है हमारा इन्तजार...
उन छोटी-छोटी, प्यारी-प्यारी, रंग-बिरंगी अनगिनत खुशियों के लिए।

क्यों न आज से ही हम छोटी खुशियों को समेटे, सहेजे...
खुश रहे....जो हमारे पास है उसमे....और उसके लिए इश्वर का धन्यवाद् करे।

3 comments:

  1. बिलकुल सही कहा है आपको मकर संक्राँति की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  2. ek-ek ful chun kar hi guldasta banta hai.

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन लिखा है आपने.
    जारी रहें. शुभकामनाएं.
    [उल्टा तीर]

    ReplyDelete